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    भारत एसकेए वेधशाला में सदस्य देश के रूप में शामिल

    प्रकाशित तिथि: नवम्बर 13, 2024
    India celebrates joining the SKA Observatory as a Member Country

    स्क्वायर किलोमीटर एरे ऑब्जर्वेटरी (एसकेएओ) में भारत की हाल ही की सदस्यता के संबंध में 13 नवंबर 2024 को पूर्वाह्न 10:00 बजे से पुणे में राष्‍ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र (एनसीआरए) में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव, SKAO के महानिदेशक के नेतृत्व में इसके एक छोटे प्रतिनिधिमंडल के साथ-साथ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया। इसके अलावा, इस अवसर पर एसकेए-इंडिया कंसोर्टियम (एसकेएआईसी) सहित शैक्षणिक संस्थानों के सदस्य, उद्योग साझीदार और अन्य भी उपस्थित थे।

    भारत जुलाई 2024 में संस्थापक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर और अनुसमर्थन के बाद औपचारिक रूप से एसकेएओ परिषद में एक सदस्य के रूप में एसकेएओ की स्‍थापना वाले कन्‍वेंशन में शामिल हो गया। भारत सरकार ने पहले डीएई और डीएसटी द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित ₹1250 करोड़ की वास्‍तविक प्रतिबद्धता के साथ 2031 तक एसकेए परियोजना में भारत की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए इस अंतरराष्ट्रीय मेगा-विज्ञान परियोजना में भागीदारी को मंजूरी दे दी थी।

    एसकेएओ एक अंतरसरकारी संगठन है जो ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को बदलने और वैश्विक सहयोग तथा नवाचार के माध्यम से समाज को लाभ पहुंचाने के लिए अत्याधुनिक रेडियो दूरबीनों के निर्माण और प्रचालन के लिए विश्‍व के देशों को एक साथ लाता है। वेधशाला की वैश्‍विक रूप उपस्‍थ‍िति है और इसमें यूके में एसकेएओ ग्‍लोबल मुख्यालय, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में रेडियो-शांत स्थानों पर एसकेएओ की दो दूरबीनें और दूरबीनों के प्रचालन को सपोर्ट करने के लिए संबंद्ध सुविधाएं शामिल हैं । ऑब्ज़र्वेटरी की सदस्यता अब 12 देशों तक पहुंच गई है और कई अन्य देश इसमें शामिल होने के लिए आवश्यक राष्ट्रीय सरकारी प्रक्रियाओं के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। भारत की प्रतिभागिता वैश्विक स्तर पर एसकेएओ सदस्यों की विविधता को बढ़ाती है, जिससे विश्‍व के सबसे महत्वाकांक्षी अनुसंधान अवसंरचना संगठनों में श्रेष्‍ठ बनाने के लिए वैज्ञानिक उत्कृष्टता के माध्यम से 5 महाद्वीपों को जोड़ा गया है।

    भारत सरकार बहुपक्षीय वार्ता में एक पक्षकार के रूप में थी जिसके परिणामस्वरूप कन्वेंशन का अंतिम पाठ सामने आया, और प्रारंभिक गतिविधियों में भाग लिया जिसके कारण 2021 की शुरुआत में एसकेएओ का निर्माण हुआ। यह भारत को प्रारंभिक हस्ताक्षरकर्ताओं के साथ-साथ एसकेएओ के संस्थापक सदस्यों में से एक बनाता है।

    डॉ. अजीत कुमार मोहांती, सचिव, पऊवि ने इसे एक उल्लेखनीय उपलब्धि बताया, जिसे पऊवि ने अपने अस्तित्व की प्लैटिनम जयंती में अर्जित किया है और यह मेगा विज्ञान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भारत को वैश्विक वैज्ञानिक मंच में आगे रखता है।

    प्रोफेसर अभय करंदीकर, सचिव, डीएसटी ने बताया कि “डीएसटी को एसकेए वेधशाला (एसकेएओ) परियोजना का भागीदार होने पर गर्व है, जिसका उद्देश्य विभिन्न अत्याधुनिक विज्ञान लक्ष्यों को संबोधित करने के लिए सबसे बड़ी और सबसे संवेदनशील रेडियो खगोल विज्ञान वेधशाला का निर्माण करना है। भारत, रेडियो खगोल विज्ञान अनुसंधान में अपनी मजबूत परंपरा के साथ एसकेएओ के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए बेहतर स्थिति में है। इसके लिए, हम इस अगली पीढ़ी की सुविधा की स्थापना के लिए विभिन्न कार्य पैकेजों और नकद भुगतान के माध्यम से योगदान करने के लिए उत्साहित हैं।

    एसकेएओ के महानिदेशक प्रोफेसर फिल डायमंड ने कहा कि “हमारे अंतर सरकारी संगठन को स्थापित करने में मदद करने वाले राष्ट्रों के समूह के हिस्से के रूप में विज्ञान, इंजीनियरिंग और गवर्नेंस में भारत का एसकेएओ में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।” भारत की सदस्यता वैश्विक स्तर पर एसकेएओ सदस्यों की विविधता को और बढ़ाती है, जो दुनिया के सबसे महत्वाकांक्षी अनुसंधान बुनियादी ढांचे में से एक को बनाने के लिए वैज्ञानिक उत्कृष्टता के माध्यम से पांच महाद्वीपों को जोड़ती है। उन्होंने कहा, “एसकेएओ की वृद्धि इस बात की स्वीकृति है कि इस अनूठे प्रयास का हिस्सा होने से कई लाभ मिलते हैं, घरेलू नवाचार को पनपने में सक्षम बनाता है, सीमाओं के पार सहयोग की सुविधा प्रदान करता है, और व्यापक सामाजिक-आर्थिक लाभ पैदा करता है जो हमारी साझा वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में मदद कर सकता है।”

    एसकेए में भारतीय भागीदारी वास्तव में एक राष्ट्रव्यापी, समावेशी परियोजना है, जिसका नेतृत्व एसकेए-इंडिया कंसोर्टियम (SKAIC) कर रहा है, जिसमें 24 शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थान शामिल हैं, जिसमें एनसीआरए-टीआईएफआर नोडल संस्थान है। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर और कंसोर्टियम के अध्यक्ष पंकज जैन ने कहा, “मुझे खुशी है कि भारत अब औपचारिक रूप से पूर्ण सदस्य के रूप में एसकेए में शामिल हो गया है। रेडियो खगोल विज्ञान में भारत की हमेशा से एक बहुत मजबूत परंपरा रही है। हाल के वर्षों में भारत ने नई ऊंचाइयों को छुआ है और कई शैक्षणिक संस्थान भी मजबूत समूह विकसित कर रहे हैं जो इस क्षेत्र के सभी पहलुओं में काम कर रहे हैं। एक शिक्षक के रूप में यह मेरे लिए विशेष रूप से संतोषजनक है क्योंकि यह हमें छात्रों को एक विस्मयकारी शोध परियोजना में शामिल करने की अनुमति देता है जिसका पैमाना और संभावित विज्ञान निहितार्थ अद्भुत हैं।”

    भारत, 2012 के आसपास एसकेए परियोजना की शुरुआत के बाद से डिजाइन और विकास कार्यों में गंभीरता से जुड़ा हुआ है, और भारत ने एसकेए दूरबीनों के केंद्र में लगे महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर तत्वों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विस्तृत डिजाइन चरण के दौरान अंतरराष्ट्रीय टेलीस्कोप प्रबंधक संघ में एनसीआरए की अग्रणी भूमिका के आधार पर, भारत वेधशाला मॉनिटर और नियंत्रण प्रणाली के विकास की निगरानी के लिए अपना कार्य जारी रखेगा। वेधशाला के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के समान, यह मॉनिटर और नियंत्रण प्रणाली हमारे वैश्विक समुदाय के लिए खगोलीय अवलोकन करने के लिए अपेक्षित कमांड देगी । इस महत्वपूर्ण तत्व को प्रदान करने में, भारत एक संपन्न सॉफ्टवेयर उद्योग की विशेषज्ञता और रेडियो खगोल विज्ञान सुविधाओं के विकास में दशकों के अनुभव का लाभ उठाएगा, जिसमें हाल ही में उन्नत विशाल मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी) भी शामिल है ।

    इस संदर्भ में, एनसीआरए के केंद्र निदेशक और एसकेएओ में भारत की भागीदारी का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिक प्रोफेसर यशवंत गुप्ता ने कहा, “भारतीय खगोल विज्ञान समुदाय को दुनिया में निम्न और मध्य आवृत्ति रेडियो खगोल विज्ञान में सर्वोत्तम सुविधा तक पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ, एसकेएओ की सदस्यता भारतीय उद्योग को कई लाभ पहुंचाएगी क्योंकि हम रेडियो आवृत्ति इलेक्ट्रॉनिक्स, डिजिटल हार्डवेयर और सिग्नल प्रोसेसिंग सिस्टम, डेटा प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर और निगरानी और नियंत्रण सॉफ्टवेयर को कवर करने वाले कई क्षेत्रों में वस्‍तुगत योगदान देने की योजना बना रहे हैं। एसकेएओ में/के लिए काम करने के प्रौद्योगिकीय ज्ञान और अनुभव से भारत में मौजूदा रेडियो खगोल विज्ञान सुविधाओं के साथ-साथ अनुसंधान के अन्य संबद्ध क्षेत्रों के अनुप्रयोगों के संदर्भ में अनुसंधान और विकास गतिविधियों के विकास में भी लाभ होगा।

    भारतीय खगोलशास्त्री एसकेए से संबंधित लगभग सभी रूचिकर वैज्ञानिक क्षेत्रों में सक्रिय रहे हैं। भारतीय संस्थानों में कार्य करने वाले वैज्ञानिक एसकेएओ के 12 विज्ञान कार्य समूहों में सक्रिय हैं, और उनमें से कई में सह-अध्यक्ष पद पर भी हैं। एनसीआरए के प्रोफेसर और भारत में एसकेए से संबंधित वैज्ञानिक गतिविधियों के समन्वयक तीर्थंकर रॉय चौधरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि “यह उल्लेखनीय है कि भारतीय संस्थानों ने कई एसकेए-संबंधित कार्यशालाओं और सम्मेलनों की मेजबानी की है, जिनमें सबसे उल्लेखनीय 2016 की अंतर्राष्ट्रीय एसकेए विज्ञान मीटिंग है।”

    भारत एसकेएओ सदस्य राज्यों में स्थित वैश्विक नेटवर्क के भाग के रूप में एक एसकेए क्षेत्रीय केंद्र (एसआरसी) की मेजबानी करने की भी योजना बना रहा है। एनसीआरए-टीआईएफआर के प्रोफेसर और भारत में एसआरसी के निर्माण के प्रयासों के समन्वयक योगेश वाडाडेकर ने कहा कि “एसआरसी खगोल विज्ञान समुदाय के लिए एसकेएओ डेटा उत्पादों को संसाधित, संग्रहीत और सुगमता प्रदान करेगा।”

    श्री सुनील गंजू, प्रमुख संस्थागत सहयोग और कार्यक्रम प्रभाग, पऊवि ने कहा कि एसकेएओ में भारत की सदस्यता वैज्ञानिक उत्कृष्टता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के हमारे प्रयासों के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह उपलब्धि भारत में रेडियो खगोल विज्ञान के जनक प्रोफेसर गोविंद स्वरूप की विरासत और दूरदृष्टि के लिए एक समृद्ध श्रद्धांजलि है। उन्होंने इसके लिए वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों और नीति निर्माताओं और फंडिंग एजेंसियों के समर्थन को स्वीकार किया।

    स्वर्गीय प्रोफेसर गोविंद स्वरूप के नेतृत्व में भारत के रेडियो खगोल विज्ञान समुदाय ने 1990 के दशक में एसकेएओ श्रेणी की एक बड़ी रेडियो वेधशाला के लिए पहली अवधारणाओं में से एक को सामने रखा। आज, 20 से अधिक शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों का एक संघ भारत की भागीदारी में योगदान देता है, जिसका नेतृत्व प्रो. यशवंत गुप्ता, निदेशक, एनसीआरए करते हैं, जो एक दशक से अधिक समय से एसकेए परियोजना में भारत के प्रयासों का नेतृत्‍व कर रहे हैं।

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