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    गतिविधियाँ

    परमाणु ऊर्जा विभाग (प.ऊ.वि.) की स्थापना 3 अगस्त, 1954 को एक राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से प्रधान मंत्री के प्रत्यक्ष प्रभार के तहत की गई थी। प.ऊ.वि परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित सभी क्षेत्रों की गतिविधियों के लिए उत्तरदायी है, जिनमें ऊर्जा उत्पादन, अनुसंधान, विकास, संरक्षा एवं सुरक्षा, संरक्षोपाय, पर्यावरण संरक्षण, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सामाजिक अनुप्रयोग शामिल हैं।

    परमाणु ऊर्जा विभाग और उसके घटक प्रतिष्ठान परमाणु विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प.ऊ.वि. में 6 अनुसंधान केंद्र शामिल हैं-बीएआरसी (मुंबई), आईजीसीएआर (कलपक्कम), आरआरसीएटी (इंदौर), वीईसीसी (कोलकाता), एएमडीईआर (हैदराबाद) और जीसीएनईपी (बहादुरगढ़); 3 औद्योगिक संगठन- एनएफसी (हैदराबाद), एचडब्ल्यूबी (मुंबई) और बीआरआईटी (मुंबई); 5 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम- एनपीसीआईएल (मुंबई), भाविनी (कलपक्कम), ईसीआईएल (हैदराबाद), यूसीआईएल (जादुगुड़ा) और आईआरईएल (इंडिया) लिमिटेड (मुंबई); और 3 सेवा संगठन-डीसीएसईएम (मुंबई), डीपीएस (मुंबई) और जीएसओ (कलपक्कम)। डीएई के पास बुनियादी और अनुप्रयुक्त विज्ञान, कैंसर देखभाल और अनुसंधान में अनुसंधान में लगे अंतरराष्ट्रीय ख्याति के 11 अनुदान-सहायता संस्थान हैं; और शिक्षा (टीआईएफआर, एसआईएनपी, टीएमसी, एचआरआई, आईओपी, एनआईएसईआर, आईएमएससी, आईपीआर, एचबीएनआई, यूएम-डीएई सीईबीएस और एईईएस)। इसके तत्वावधान में परमाणु और संबद्ध क्षेत्रों और गणित में अतिरिक्त-भित्ति अनुसंधान को बढ़ावा देने और वित्त पोषण करने के लिए 2 बोर्ड (बीआरएनएस और एनबीएचएम) भी हैं।

    निम्नलिखित सूची परमाणु ऊर्जा विभाग की गतिविधियों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है:

    • परमाणु रिएक्टरों का निर्माण और परिचालन।
    • उन्नत रिएक्टर और प्रणालियों का विकास।
    • द्रुत रिएक्टर और फ्यूजन प्रौद्योगिकियों का अनुसंधान और विकास।
    • सामाजिक महत्व के विभिन्न क्षेत्रों में परमाणु प्रौद्योगिकियों का अनुप्रयोग।
    • यूरेनियम संसाधनों, परमाणु खनिजों और रेअर अर्थ्स का अन्वेषण।
    • यूरेनियम खनन, प्रसंस्करण और उत्पादन।
    • रेअर अर्थ्स का खनन, प्रसंस्करण और उत्पादन।
    • बिजली संयंत्रों के लिए परमाणु ईंधन असेंबलियों का निर्माण।
    • हैवी वॉटर और ड्यूटरियेटेड यौगिकों का उत्पादन।
    • चिकित्सा, औद्योगिक और कृषि अनुप्रयोगों के लिए आइसोटोप उत्पादन।
    • एक्सेलरेटर, प्लाज्मा और लेज़र प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास।
    • परमाणु उपयोगों के लिए सामग्री विज्ञान अनुसंधान।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रुमेंटेशन में अनुसंधान और विकास।
    • किफायती कैंसर देखभाल और अनुसंधान।
    • परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में मानव संसाधन क्षमता निर्माण।
    • बुनियादी और मौलिक विज्ञान और गणित में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना।
    • परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।
    • जन जागरूकता और आउटरीच
    • परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण