अटल इनक्यूबेशन सेंटर-भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (एआईसी-बीएआरसी) द्वारा गुरुवार, 2 मई, 2024 को ‘इनक्यूबेशन के लिए खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों’ पर स्टार्टअप आंत्रप्रेन्योर कार्यशाला का आयोजन
अटल इन्क्यूबेशन सेंटर (एआईसी-बीएआरसी), डीएई कन्वेंशन सेंटर, अणुशक्ति नगर, मुंबई-400094 द्वारा एक स्टार्ट-अप आंत्रप्रेन्योर कार्यशाला का आयोजन गुरुवार, 2 मई, 2024 को किया गया। यह एआईसी-बीएआरसी द्वारा आयोजित ऐसी तीसरी कार्यशाला है। एआईसी-बीएआरसी की स्थापना परमाणु ऊर्जा विभाग (पऊवि) की स्पिन-ऑफ प्रौद्योगिकियों पर आधारित एक स्टार्ट-अप इकोसिस्टम बनाने के लिए अटल इनोवेशन मिशन (AIM), नीति आयोग के तहत की गई है। एआईसी-बीएआरसी सरकारी अनुसंधान सुविधाओं और प्रौद्योगिकी उद्यमियों के बीच तालमेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परमाणु ऊर्जा विभाग में स्थापित पहले प्रौद्योगिकी विकास सह इन्क्यूबेशन सेंटर में से एक है और इसे भारत सरकार के “आत्मनिर्भर भारत” मिशन के अनुरूप स्थापित किया गया है।
स्नातक अंतिम वर्ष में पढ़ रहे छात्रों और विज्ञान/इंजीनियरिंग/वाणिज्य में स्नातक पाठ्यक्रम पूरा करने वाले छात्रों को सोशल मीडिया पर विज्ञापन देकर इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया था। इसकी बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली और लगभग 87 आमंत्रित लोगों ने कार्यशाला में भाग लिया। कार्यशाला में, बीएआरसी के वैज्ञानिकों द्वारा केले के हेल्थ ड्रिंक, कड़वाहट रहित करेला जूस, जामुन/स्ट्रॉबेरी/चीकू/आईएम क्यूब और सी-फूड प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों जैसी तकनीकों से अवगत कराया। एआईसी-बीएआरसी टीम द्वारा इसके बिजनेस मॉडल प्रस्तुत किए गए। पोस्टर सत्र में विभिन्न खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों और संबंधित नियामक प्रक्रिया को भी प्रदर्शित किया गया। प्रतिभागियों द्वारा उपरोक्त सभी उत्पादों का स्वाद लेने के लिए विभिन्न टेस्टिंग स्टेशनों की व्यवस्था की गई थी। प्रतिभागियों को दोपहर के भोजन के दौरान विकिरण प्रसंस्कृत अल्फांसो आम परोसे गए और प्रतिभागियों ने इसे बहुत पसंद किया और बहुत ही सकारात्मक प्रतिक्रिया के साथ इसका आनंद लिया। CISDA, NPPO और FSSAI के अनुमोदन के अनुसार व्यापार की संगरोध बाधा को दूर करने के लिए आम को फाइटोसैनिटरी उपचार के रूप में विकिरण प्रसंस्करण के अधीन किया जा रहा है। सुबह के सत्र में पांच उद्योगों को परमाणु ऊर्जा विभाग प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण की जानकारी हेतु लाइसेंस सौंपने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर समारोह भी आयोजित किया गया। समापन फीडबैक सत्र के दौरान, लाइसेंसधारियों ने भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र की प्रौद्योगिकी और हैंड होल्डिंग सुविधा के आधार पर अपनी सफलता के बारे में बताया। यह आशा की जाती है कि कई महत्वाकांक्षी उद्यमी सामाजिक महत्व की परमाणु ऊर्जा विभाग की इन अच्छी तरह से प्रमाणित डीएई स्पिन-ऑफ प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण शुरू करने के लिए एआईसी-बीएआरसी के साथ कार्य करने के लिए आगे आएंगे। इन तकनीकों का उद्देश्य भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन और वोकल टू लोकल सिद्धांत में योगदान करना है।