‘आईएईए की रेज ऑफ होप पहल – एंकर सेंटर’ के लिए आईएईए और टाटा स्मारक केंद्र (परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार के तहत एक अनुदान सहायता संस्थान) के बीच ‘समझौता-ज्ञापन हस्ताक्षर समारोह’

श्री रफायल मारियानो ग्रॉसी, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक ने गुरुवार, 20 मार्च 2025 को सुबह 11:00 बजे टाटा स्मारक केंद्र (TMC) का दौरा किया। यह दौरा IAEA की “रेज़ ऑफ़ होप” पहल के तहत टाटा स्मारक केंद्र को “एंकर सेंटर” के रूप में मान्यता देने वाले समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर करने के लिए था। ऑस्ट्रिया गणराज्य में भारत के राजदूत, मोंटेनेग्रो, होली सी और वियना में स्थित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के स्थायी प्रतिनिधि महामहिम श्री शंभू एस. कुमारन; सचिव पऊवि और अध्यक्ष परमाणु ऊर्जा आयोग डॉ ए के मोहान्ती; निदेशक TMC डॉ सुदीप गुप्ता, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने IAEA के महानिदेशक का स्वागत किया। डॉ. उमेश महंतशेट्टी, निदेशक होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र, टीएमसी, विशाखापत्तनम ने टीएमसी का संक्षिप्त इतिहास, भारत भर में किफायती व्यापक कैंसर देखभाल सेवाओं के विकास (पंजाब में 2, वाराणसी में 2, गुवाहाटी और विशाखापत्तनम में 1-1 सुविधाएं) सहित हाल के विकास, एसीटीआरईसी में अत्याधुनिक सुविधाएं (प्रोटॉन थेरेपी यूनिट, हेमेटोलिम्फोइड ब्लॉक और सर्जिकल ओटी और सेवाओं के विस्तार) तथा 1981 से आईएईए गतिविधियों में टीएमसी के योगदान पर प्रकाश डाला।
महामहिम श्री कुमारन ने IAEA की कैंसर चिकित्सा हेतु कार्य योजना (PACT- 2004 में प्रारंभ) भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया । भारत ने मंगोलिया, श्रीलंका और मेडागास्कर जैसे विकासशील देशों को भाभाट्रॉन जैसी रेडियोथेरेपी मशीनें दान करके IAEA के PACT कार्यक्रम में सक्रिय रूप से सहयोग दिया है । टाटा स्मारक केंद्र के विशेषज्ञ अब तक 8 देशों के लिए IAEA imPACT मिशनों में वैश्विक विशेषज्ञों के रूप में सेवा कर चुके हैं।
पऊवि सचिव एवं एईसी के अध्यक्ष डॉ. अजीत कुमार मोहान्ती ने टीएमसी के माध्यम से उन्नत कैंसर देखभाल सहित आईएईए के साथ परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिए डीएई के सहयोग, प्रतिबद्धता और प्रयासों पर जोर दिया।
टीएमसी के निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विशेषज्ञ मिशनों गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम जैसे क्वाट्रो सदस्य देशों के लिए प्रशिक्षण / फेलोशिप कार्यक्रम (अफ्रीका-10; मध्य पूर्व-11; बांग्लादेश-10; मॉरीशस-10 और अन्य – फिलीपींस, मंगोलिया आदि), समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम (सीआरपी), 1992 से वार्षिक रूप से आयोजित होने वाले क्षेत्रीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और 1981 से विकिरण संरक्षा तथा सामान्य कैंसर के उपचार से संबंधित तकनीकी दस्तावेज तैयार करने पर प्रकाश डाला। आईएईए की 2019 की 63वीं महासभा में प्रारंभ की गई राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड विश्वम- कैंसर केयर कनेक्ट (NCG-3C) के माध्यम से टीएमसी ने निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) और सदस्य देशों को वैश्विक स्तर पर कैंसर अस्पतालों एवं संस्थानों को विशेषज्ञता सेवा प्रदान की है। IAEA ने पिछले दो वर्षों में NCG द्वारा आयोजित CReDO कार्यशाला के प्रतिभागियों को वित्त पोषित किया है – ये कार्यशालाएं LMIC से विकिरण ऑन्कोलॉजी, रेडियोलॉजी और परमाणु चिकित्सा से संबंधित प्रोटोकॉल पर आधारित थीं।
आईएईए के महानिदेशक श्री ग्रॉसी ने बैठक को संबोधित करते हुए ‘रे ऑफ होप’ कार्यक्रम के माध्यम से ‘सभी के लिए कैंसर देखभाल’ की दिशा में आईएईए के योगदान पर जोर दिया। 2022 में शुरू किए गए ‘रे ऑफ होप’ पहल का उद्देश्य एलएमआईसी को उनकी तत्काल जरूरतों के साथ विकिरण चिकित्सा क्षमताओं को शुरू करने और सुधारने तथा कैंसर देखभाल कार्यबल बनाने में सहायता करना है। आईएईए के महानिदेशक ने कहा कि ‘रे ऑफ होप’ पहल के माध्यम से आईएईए, एंकर सेंटर की पहचान करेगा – इस कैंसर केंद्र ने अपने संबंधित क्षेत्र में आईएईए के साथ काम करने के दशकों के अनुभव के माध्यम से अपनी जिजीविषा को दर्शाया है। ये एंकर सेंटर फेलो प्रशिक्षण, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित करेंगे, आईएईए समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं में भाग लेंगे, नेटवर्किंग को बढ़ावा देंगे और पड़ोसी एलएमआईसी में अन्य रेडियोथेरपी और मेडिकल इमेजिंग केंद्रों को विशेषज्ञ सलाह प्रदान करेंगे।
IAEA का उद्देश्य ‘रे ऑफ होप’ पहल के माध्यम से, LMIC में कैंसर रोगियों को उच्च प्रभाव वाले हस्तक्षेपों के वितरण को अधिकतम करने के लिए क्षेत्रीय एंकर केंद्रों के माध्यम से उपकरण, प्रशिक्षण, अनुसंधान/नवाचार और गतिविधियों में सहायता करना है।
आईएईए महानिदेशक ने टीएमसी के योगदान का की सराहना करते हुए इसे एशिया –प्रशांत ओर अफ्रीकी क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख एंकर सेंटर घोषित किया । महानिदेशक आईएईए ने अस्पताल परिसर में होमी भाभा ब्लॉक – विशिष्ट रोग प्रबंधन क्लीनिक, नैदानिक अनुसंधान सचिवालय (सीआरएस) और संस्थागत नैतिकता समिति (आईईसी) विभागों का भी अवलोकन किया।