आईएईए – विश्व संलयन ऊर्जा समूह (डब्ल्यूएफईजी) की अनुसचिवीय उद्घाटन बैठक में भारत का बयान – डॉ. अजीत कुमार मोहंती द्वारा प्रस्तुत
(इतालवी गणराज्य के मंत्रिपरिषद की अध्यक्ष महामहिम जियोर्जिया मेलोनी), अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक श्री राफेल ग्रॉसी, प्रतिष्ठित प्रतिनिधि, देवियो और सज्जनो,
नमस्ते और सुप्रभात| इस प्रतिष्ठित मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं भारत सरकार की ओर से आज यहाँ एकत्र हुए प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ।
महानुभावो :
1. सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्रों से संलयन ऊर्जा के हितधारक ऊर्जा उत्पादन हेतु संलयन ऊर्जा के प्रयोगशाला से व्यावसायिक उत्पादन तक शीघ्र पहुँचने के मार्ग पर चर्चा करने के लिए यहाँ एकत्र हुए हैं। इस विषय पर चर्चा करने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता का जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव इससे पहले कभी इतना अधिक नहीं रहा। साथ ही, एक विकासशील वैश्विक अर्थव्यवस्था को ऊर्जा सुरक्षा की तत्काल आवश्यकताओं को पूरा करना जरूरी है। हमें आकलनीय, टिकाऊ और किफायती ऊर्जा की आवश्यकता है। 2070 तक भारत के शून्य कार्बन उत्सर्जन की योजना एक ऐसे विश्वसनीय ऊर्जा संयोजन को ध्यान में रखकर बनाई गई है जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा को सर्वाधिक महत्व दिया गया है जिसमें परमाणु ऊर्जा का वृहद योगदान शामिल है जिसमें तत्काल समाधान के रूप में विखण्डन रिएक्टर और भविष्य के लिए संलयन आधारित रिएक्टर शामिल हैं।
महानुभावो,
2. आज जबकि भारत स्वंय को एक विकसित राष्ट्र (विकसित भारत) के रूप में स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, भारत सरकार ने विभिन्न नीति निर्देशों की घोषणा की है जैसे कि (क) भारत स्मॉल रिएक्टर की स्थापना, (ख) भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर का अनुसंधान और विकास और (ग) ग्रिड की बेस लोड माँग को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा के लिए नई प्रौद्योगिकियाँ।
महानुभावो,
3. जबकि विखंडन पर आधारित परमाणु ऊर्जा में होने वाली तत्काल वृद्धि का उपयोग वर्तमान में किया जाएगा वहीं दूसरी ओर, हम यह आशा करते हैं कि संलयन ऊर्जा भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके व्यावसायिक उपयोग को सक्षम बनाने लिए संलयन अभिक्रियाओं को नियंत्रित करने में आवश्यक सफलता अभी भी कुछ दशक दूर लगती है। दुनिया उत्सुकता से उम्मीद कर रही है कि आईटीईआर ‘बर्निंग प्लाज़्मा’ के साथ अपना प्रचालन शुरू करेगा और D-T संलयन को आगे बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक जानकारियाँ उपलब्ध कराएगा ।
महानुभावो,
4. आईटीईआर सहयोग के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में, हमने मशीन के प्रचालन की शुरुआत के लिए आवश्यक अधिकांश योगदान पूरा कर लिया है। इसमें शामिल हैं (क) 30 मीटर लंबा और 30 मीटर व्यास वाला क्रायोस्टेट, (ख) क्रायोजेनिक वितरण सिस्टम, (ग) शीतलन जल प्रणाली जो संपूर्ण उच्च-शक्ति पल्स अवधि के लिए लगभग 1 गीगावॉट ऊष्मा का विनिमय करने में सक्षम है (घ) इन-वॉल शील्ड ब्लॉक जो न्यूट्रॉन शील्ड के रूप में काम करने के लिए दोहरी दीवार वाले वैक्यूम वेसेल के अंदर डाले जाते हैं। ये सभी घटक, अपनी तरह के पहले हैं जिनमें कई प्रकार की चुनौतियाँ जुड़ी हुई हैं और इन्हें प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान (आईपीआर) गांधीनगर, गुजरात, भारत के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के सक्रिय सहयोग से भारतीय उद्योगों जिसमें बड़ी संख्या में छोटे उद्योग(एसएमई)शामिल हैं, द्वारा तैयार किया गया है।
महानुभावो :
5. जबकि हम आईटीईआर द्वारा संलयन से ऊर्जा उत्पादन की व्यवहार्यता साबित करने के लिए उपयुक्त समय की प्रतीक्षा कर रहे हैं, ऐसे समय में इस जटिल विज्ञान पर जनता का विश्वास बनाए रखना हमारे लिए श्रेयस्कर है। निजी पहल के सक्रिय प्रयासों सहित नवाचार और वैकल्पिक रास्ते इस संबंध में बहुत प्रासंगिक हैं।
महानुभावो :
6. प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान (आईपीआर) और परमाणु ऊर्जा विभाग तीन दशकों से अधिक समय से भारत में प्लाज्मा विज्ञान के साथ-साथ संलयन अनुसंधान एवं विकास में अग्रणी रहा है। भारत का संलयन कार्यक्रम ADITYA, ADITYA-U और उसके बाद SST-1 टोकामेक की कमीशनिंग के साथ शुरू हुआ। भारत ने तकनीकी क्षेत्र में बहुत से मील के पत्थर स्थापित किए हैं जैसे क्रायोजेनिक रूप से ठंडे और बड़े सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रोमैग्नेट और उन्हें स्थिर अवस्था में सफलतापूर्वक संचालित करना, क्रायोपंप विकसित करना, उच्च ताप प्रवाह परीक्षण सुविधाएँ और नवीन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पेलेट इंजेक्टर, लंबी पल्स ऑपरेशन के साथ उच्च शक्ति तटस्थ बीम स्रोतों में अनुसंधान और विकास आदि।
7. हम, भारत में, सक्रिय रूप से संलयन के शुरुआती उपयोग की व्यवहार्यता देख रहे हैं, उदाहरण के लिए विद्युत उत्पादन या रेडियोधर्मी परमाणु अपशिष्ट भस्मीकरण के लिए संलयन-विखंडन हाइब्रिड मोड। इस अवधारणा को संलयन चालित उप-क्रिटिकल रिएक्टर या संलयन-विखंडन हाइब्रिड रिएक्टर कहा जाता है। यह एक मध्यवर्ती कदम होगा जब हम आईटीईआर में D-T प्रयोगों से उत्साहजनक परिणामों की प्रतीक्षा करेंगे। भारत विद्युत और गैर-विद्युत दोनों ही क्षेत्रों में संलयन ऊर्जा प्रौद्योगिकी के शांतिपूर्ण अनुप्रयोगों का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि सहस्राब्दियों से बनी हुए इस सभ्यता के लिए संलयन अभिक्रिया के उपयोग पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता है और इस क्षेत्र में निरंतर अनुसंधान आवश्यक है। हम संलयन ऊर्जा के शीघ्र प्रयोग के लिए सभी हितधारकों के बीच सक्रिय रूप से विकल्प और सहयोग का पता लगाने के लिए इस आईएईए–डब्ल्यूएफईजी फोरम की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
महानुभावो,
हम आईएईए–विश्व संलयन ऊर्जा समूह की पहली अनुसचिवीय बैठक की मेजबानी के लिए रोम शहर के लोगों और इटली सरकार तथा एजेंसी को धन्यवाद देते हैं।
मेरी बातों को ध्यान पूर्वक सुनने के लिए आप सभी को धन्यवाद |
धन्यवाद और जय हिन्द !