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    नये उद्यमियों के लिए प्रौद्योगिकियाँ

    भाभा कवच – हल्के भार वाला बैलेस्टिक रेजिस्टेंट जैकेट

    भाभा कवच – हल्के भार वाला बैलेस्टिक रेजिस्टेंट जैकेटभाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) ने कार्बन नैनो ट्यूब युक्त बैलेस्टिक रेजिस्टेंट जैकेट का विकास किया है जो मौजूदा जैकेट की तुलना में 20% हल्की है। बीएआरसी प्रौद्योगिकी वाला लेवल III बैलेस्टिक रेजिस्टेंट जैकेट (एसएलआर, एके-47, माइल्ड स्टील कोर बुलेट से सुरक्षा) का वजन लगभग 4.8 किलोगा्रम है। इसमें घाव 20mm से कम होता है।

    बीएआरसी द्वारा विकसित सीएनटी-पॉलीमर कम्पोजिट बोरान-कार्बाइड वाले लेवल-III + बीआर जैकेट (एसएलआर, आईएनएसएएस, एके-47, हार्ड स्टील कोर बुलेट से सुरक्षा) का वज़न लगभग 6.5 किलोग्राम है। इसमें घाव 15mm से कम होता है। सीआरपीएफ के लिए, लेवल-III के स्टैण्ड अलोन एचएपी तथा लेवल-III+ जिसका वजन क्रमश: 3.3 Kg तथा 5.2 Kg है, को भी विकसित किया गया है।

    लंबे समय तक टिकाऊ लीची – व्यापार के नये अवसर खोलना

    लंबे समय तक टिकाऊ लीची – व्यापार के नये अवसर खोलना4° से 6°C पर लीची की निधानी आयु 60 दिनों तक बढ़ाने के लिए एक नई प्रक्रिया विकसित की गई है। ग्रास (सामान्य रूप से सुरक्षित माने गए) खाद्य परिरक्षकों से धोना ताकि प्राकृतिक – गुलाबी – लाल रंग, स्वाद तथा पोषक गुणों को 2 से अधिक महीनों तक बनाए रखा जा सके। रेडिएशन निर्यात के लिए फाइटो सैनिटरी उपचार के रूप में विकल्प है। यह प्रौद्योगिकी कई उद्यमियों को हस्तांतरित की गई है।

    बीएआरसी प्रौद्योगिकी पर आधारित लीची उपचार सुविधा मुशाहरी, मुज्जफरपुर, बिहार में 2017 मंय स्थापित की गई है।

    भाभाट्रान – कम कीमत में कैंसर का देशीय इलाज

    भाभाट्रान – कम कीमत में कैंसर का देशीय इलाजभाभाट्रान-II एक समकेंद्रिक, बाह्य बीम रेडिएशन थेरेपी मशीन है जिसका निर्माण कैंसर के उपचार के लिए किया गया है। इसमें रेडियोएक्टिव कोबाल्ट-60 आइसोटोप का उपयोग रेडिएशन स्रोत के रूप में किया जाता है। निर्धारित लक्ष्य पर ही सुरक्षित एवं ठीक योजनाबद्ध रेडिएशन उद्भासन देने वाली कंप्यूटर नियंत्रित प्रणाली। 50 से अधिक यूनिटें लगाई गयी हैं जिनमें बाहर के 6 देश शामिल हैं।

    हाल में विकसित मल्टी लीफ कोलीमेटर (एमएलसी) प्रणाली रेगुलेटरों द्वारा अनुमोदित की गई। एमएलसी उच्च रेडिएशन डोज से ट्यूमर का उपचार करने में सहायक है और आस-पास के स्वस्थ्य ऊतकों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

    केले का टिशू कल्चर – वाणिज्यिक उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी

    केले का टिशू कल्चर – वाणिज्यिक उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकीभारत विश्व में केले का सबसे बड़ा उत्पादक है। हालांकि, सबसे बड़ी चुनौती उसी रूप में केले के भंडारण तथा रोगमुक्त रोपण पदार्थों की है। बीएआरसी ने केले के टिशू कल्चर की तकनीकी जानकारी बड़े एवं छोटे स्तर के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए सेमी अर्बन तथा ग्रामीण भारत में प्रयोक्ताओं हेतु विकसित की है। इसमें छोटे स्तर के टिशू कल्चर प्रयोगशाला शामिल है।

    इस प्रौद्योगिकी द्वारा पारंपरिक उत्पादन में आने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान किया गया है तथा प्रसिद्ध किस्मों को बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए वाणिज्यिक स्तर पर टिशू कल्चर प्रौद्योगिकी प्रयोग में लायी गई है। जमीनी स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार एवं लोकप्रिय होने से ग्रामीण भारत में सतत विकास के लिए नए अवसरों के द्वार खुल गए हैं।