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    परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं पर मीडिया रिपोर्टों के जवाब में वक्तव्य

    प्रकाशित तिथि: सितम्बर 19, 2013

    परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं पर मीडिया रिपोर्टों के जवाब में वक्तव्य

    हमने न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और इसके संभावित विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के बीच वाणिज्यिक अनुबंधों के लिए चल रही बातचीत पर मीडिया रिपोर्टें देखी हैं।

    सरकार ने बार-बार पुष्टि की है कि ये अनुबंध भारतीय कानून के अधीन होंगे। विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के साथ-साथ घरेलू विक्रेताओं ने परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम 2010 और इसके संबंधित नियमों को उनके अनुबंधों पर लागू करने के तरीके के संबंध में कई प्रश्न उठाए हैं। चूंकि इन प्रश्नों में कानून के प्रश्न शामिल हैं, परमाणु ऊर्जा विभाग ने इन मुद्दों पर कानून और न्याय मंत्रालय की राय मांगी है। इसकी जांच परमाणु ऊर्जा विभाग और एनपीसीआईएल द्वारा की जाएगी।

    अनुबंध, जिन्हें सरकार के सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित करना होगा, पूरी तरह से भारतीय कानून के अनुरूप होंगे। भारतीय कानून के उल्लंघन या कमजोर होने का कोई सवाल ही नहीं है। परियोजनाओं को सुरक्षा के उच्चतम मानकों को पूरा करना होगा और उत्पन्न बिजली को परमाणु के अन्य स्रोतों के साथ-साथ बिजली के वैकल्पिक रूपों के साथ प्रतिस्पर्धी होना होगा। यह रूस, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हमारी परियोजनाओं पर लागू होगा।

    जबकि कुडनकुलम में आगे के रिएक्टरों के लिए रूस के एएसई के साथ एनपीसीआईएल की बातचीत उन्नत चरण में है और फ्रांस के अरेवा के साथ प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं, एनपीसीआईएल वर्तमान में वेस्टिंगहाउस के साथ प्रारंभिक अनुबंध पर बातचीत कर रहा है। वेस्टिंगहाउस के साथ प्रस्तावित अनुबंध प्री-प्रोजेक्ट सेवाओं की सीमित श्रृंखला के लिए है। एनपीसीआईएल परमाणु ऊर्जा आयोग और भारत सरकार की मंजूरी के बाद ही यह प्रारंभिक अनुबंध करेगा। यदि यह अनुबंध स्वीकृत हो जाता है, तो एनपीसीआईएल सुरक्षा और तकनीकी-वाणिज्यिक व्यवहार्यता स्थापित किए बिना रिएक्टरों की आपूर्ति के लिए वेस्टिंगहाउस के साथ अनुबंध करने के लिए बाध्य नहीं होगा।

    डॉ.सीबीएस वेंकटरमना
    अतिरिक्त सचिव, परमाणु ऊर्जा विभाग
    भारत सरकार; मुंबई दिनांक 19.9.2013

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