बीएआरसी द्वारा किसानों के लाभ के लिए पहली उत्परिवर्ती केले की किस्म का अनावरण
किसानों की आजीविका को बेहतर करने और देश की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में योगदान देने के अपने निरंतर प्रयासों के तहत भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) ने ट्रॉम्बे केला उत्परिवर्ती-9 (TBM-9) विकसित करके एक नई उपलब्धि हासिल की है, जिसे हाल ही में भारत सरकार द्वारा ‘कावेरी वामन’ नाम से जारी करने के लिए अधिसूचित किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि कावेरी वामन न केवल भारत के पहले उत्परिवर्ती केले की किस्म है बल्कि बीएआरसी द्वारा विकसित और जारी की गई पहली फल की फसल भी है। उल्लेखनीय है कि कावेरी वामन के साथ, बीएआरसी द्वारा जारी की गई उन्नत फसल किस्मों की कुल संख्या अब 72 हो गई है।
अजित कुमार मोहान्ती, सचिव, परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) और अध्यक्ष, परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) ने TBM-9 के जारी किए जाने पर सराहना करते हुए इसे आयनकारी विकिरण के उपयोग के माध्यम से भारत में बागवानी फसलों के सुधार में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला एक बड़ा कदम बताया।
श्री विवेक भसीन, निदेशक, बीएआरसी ने बीएआरसी स्थापक दिवस-2025 के अवसर पर बोलते हुए धारणीय कृषि के लिए महत्वपूर्ण नई फसल किस्मों के विकास में गामा किरण प्रेरित उत्परिवर्तन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि TBM-9 का जारी किया जाना आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण ग्रांडे नैने केले की खेती करने वाले किसानों के लिए एक वरदान है। उन्होंने यह भी बताया कि यह विकास बीएआरसी के उत्परिवर्तन प्रजनन कार्यक्रम के पारंपरिक फसलों से फलों और अन्य वानस्पतिक रूप से संचरित पौधों तक विस्तार को दर्शाता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र (आईसीएआर-एनआरसीबी), तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु के सहयोग से विकसित कावेरी वामन को लोकप्रिय, व्यापक रूप से उगाई जाने वाली केले की किस्म, ग्रांडे नाइन, को गामा विकिरण द्वारा उत्परिवर्तित करके प्राप्त किया गया था। कई वर्षों की जाँच और कठोर क्षेत्रीय परीक्षणों के बाद TBM -9 को जारी करने के लिए चुना गया जिसने मूल किस्म की तुलना में कई बेहतर कृषि संबंधी विशेषताएँ प्रदर्शित कीं।
पैतृक किस्म की तुलना में, कावेरी वामन का एक प्रमुख लाभ इसका छोटा कद है, जो इन पौधों को गिरने (अर्थात तने का झुकना या टूटना) के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी बनाता है, जो समुद्र तट के किनारे हवादार क्षेत्रों में उगने वाले लंबे केले के पौधों की एक बड़ी समस्या है। पारंपरिक रूप से, गिरने से बचाने के लिए बांस या लकड़ी के खंभों का उपयोग सहारे के रूप में किया जाता है। चूंकि नई किस्म बौनी है और गिरने के प्रति प्रतिरोधी है इसलिए सहारे की आवश्यकता नहीं हैं, जिससे निवेश लागत में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है। कावेरी वामन की परिपक्वता अवधि पैतृक किस्म से डेढ़ महीने कम है, जिससे कम समय में फसल प्राप्त की जा सकती है। इन लाभों के अलावा, नई किस्म के केले के फल में मूल ग्रांडे नाइन किस्म की सभी विशिष्ट ऑर्गेनोलेप्टिक विशेषताएं शामिल रहती हैं। कावेरी वामन उच्च घनत्व वाले रोपण के साथ-साथ छत पर बागवानी के लिए भी उपयुक्त है।
डॉ. मोहान्ती ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि फसल सुधार कार्यक्रम, परमाणु विज्ञान को सामाजिक अनुप्रयोगों में उपयोग करने के परमाणु ऊर्जा विभाग के अनुसंधान मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक 72 उन्नत फसल किस्मों का जारी किया जाना हमारे देश के कृषि क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा निभाई गई सार्थक भूमिका का प्रमाण है। उन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित किस्मों के मूल्यांकन और जारी होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की प्रशंसा की।