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    भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय, महाराष्ट्र सरकार के बीच समझौता ज्ञापन

    प्रकाशित तिथि: अक्टूबर 1, 2024
    MoU signing event held at Bhabha Atomic Research Centre, dated 02092024

    किसी राष्ट्र की विशेषताओं को परिभाषित करने के लिए पुरातात्विक स्थल और सांस्कृतिक विरासत कलाकृतियाँ बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। इसके अलावा, पर्यटन में रुचि रखने वाले लोगों द्वारा राष्ट्रीय स्मारकों, राष्ट्रीय भवनों, राष्ट्रीय संग्रहालयों आदि का सांस्कृतिक पर्यटन, राष्ट्रीय संपदा के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसलिए, सांस्कृतिक विरासत का प्रभावी संरक्षण और संवर्धन समय की आवश्यकता है। कलाकृतियों के संरक्षण के दौरान यह सबसे महत्वपूर्ण है कि कलाकृतियों की संरचना और गठन को अच्छी तरह से समझा जाए। सांस्कृतिक-विरासत कलाकृतियाँ, विशेष रूप से प्राचीन कलाकृतियाँ, अभी भी कई दिलचस्प और महत्वपूर्ण चुनौतियाँ पेश करती हैं, जैसे कि उनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक समय-सीमा, उनके मूल स्थान और निर्माण की विधि का सही निर्धारण एवं उनके जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिए उपयुक्त उपचार और पर्यावरणीय परिस्थितियों का चयन।

    विभिन्न प्रकार की भौतिक और रासायनिक तकनीकों के बीच, न्यूट्रॉन-आधारित इमेजिंग विधियाँ अद्वितीय जानकारी प्रदान करने में सक्षम हैं जिसका श्रेय पदार्थ के साथ उनके विशेष संपर्क-तंत्र को जाता है। न्यूट्रॉनों की गैर-विनाशकारी प्रकृति और गहन वेधन क्षमता के कारण इनके माध्यम से किसी भी कलाकृति की आंतरिक रूपात्मक संरचना को आसानी से समझा जा सकता है जिससे यह संरक्षण-वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण उपकरण साबित होते है जो हमारे पूर्वजों की शिल्पकारी और निर्माण पद्धतियों के प्रति महत्वपूर्ण अंतदृष्टि प्रदान करते हैं।

    अत: सांस्कृतिक एवं विरासत विज्ञान में न्यूट्रॉन आधारित पद्धतियों के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय (डीओएएम) ने उनके संग्रह में रखी हुए कलाकृतियों के अभिलक्षणन हेतु भौतिकी समूह, बीएआरसी के तकनीकी भौतिकी प्रभाग द्वारा ध्रुवा और अप्सरा-यू परमाणु अनुसंधान रिएक्टर में विकसित न्यूट्रॉन-आधारित गैर-विनाशकारी प्रौद्योगिकियों की क्षमताओं का प्रयोग करने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के साथ समझौता ज्ञापन किया है। समझौता ज्ञापन बीएआरसी में हस्ताक्षरित हुआ। इस समझौता ज्ञापन पर डीओएएम, महाराष्ट्र सरकार के अधिकारीगण श्री हेमंत दलवी और डॉ. मयूर ठाकरे और बीएआरसी के अधिकारीगण डॉ. एल. एम. पंत, और डॉ. एस अधिकारी की उपस्थिति में डॉ. एस.एम. यूसुफ, निदेशक, भौतिकी समूह, बीएआरसी और श्री सुजीत कुमार उगाले, निदेशक, पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय ने 02.09.2024 को हस्ताक्षर किए।

    भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक श्री विवेक भसीन ने इस पहल के लिए दोनों पक्षों को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि यह समझौता ज्ञापन पुरातात्विक विज्ञान के क्षेत्र में न्यूट्रॉन इमेजिंग के उपयोग को प्रोत्साहित करेगा।

    परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ. ए.के. मोहंती ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन सामाजिक हित के लिए डीएई अनुसंधान रिएक्टरों के उपयोग की सुविधा प्रदान करेगा तथा इतिहास में हमारे पूर्वजों द्वारा अत्यंत यत्नपूर्वक तैयार किए गए जटिल एवं परिष्कृत शिल्प कौशल के संवर्धन में अपना योगदान देगा।

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