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    महानिदेशक, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा प्राधि‍करण (आईएईए) ने परमाणु ऊर्जा वैश्व‍िक सहभागिता केंद्र में एस एन बोस भवन का उद्घाटन और नाभ‍िकीय इंजीनियरिंग सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम प्रारंभ किया

    प्रकाशित तिथि: मार्च 19, 2025
    DG IAEA Inaugurates S N Bose Building at the Global Centre for Nuclear Energy Partnership and Introduces Certificate Course on Nuclear Engineering

    परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के अंतर्गत एक प्रमुख अनुसंधान एवं विकास इकाई, परमाणु ऊर्जा वैश्व‍िक सहभागिता केंद्र (जीसीएनईपी) के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्ध‍ि को रेखांकित करते हुए, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक, श्री रफायल मारियानो ग्रॉसी ने एस एन बोस भवन का उद्घाटन और जीसीएनईपी में भागीदार देशों के राजनयिकों की गरिमामयी उपस्थिति में नाभिकीय इंजीनियरिंग पर सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम को प्रारंभ किया। इस अवसर पर विदेश मंत्रालय और पऊवि के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। यह कार्यक्रम नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में आयोजित किया गया।

    प्रख्यात भारतीय भौतिक विज्ञानी डॉ. सत्येंद्र नाथ बोस के सम्मान में नामांकित नवनिर्मित एस एन बोस भवन, नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए एडवांस्ड हब केंद्र (प्रगत केंद्र) के रूप में कार्य करेगा। इस भवन में अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं हैं जो जीसीएनईपी के विशेष विद्यालयों की जरूरतों को पूरा करती हैं, जिससे नाभिकीय सुरक्षा, रिएक्टर प्रौद्योगिकी, विकिरण संरक्षा, नाभिकीय सामग्री अभि‍लक्षणन और रेडियोआइसोटोप अनुप्रयोगों में इसकी क्षमताओं में वृद्धि होगी।

    इस कार्यक्रम में नाभिकीय इंजीनियरिंग पर सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत भी हुई, जो रिएक्टर भौतिकी, नाभिकीय ईंधन चक्र, रेडियोलॉजिकल संरक्षा, नाभिकीय संरक्षा और नाभिकीय प्रौद्योगिकी के उभरते अनुप्रयोगों पर गहन ज्ञान प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया छह माह का कार्यक्रम है। इस पाठ्यक्रम को वैश्विक स्तर पर जीसीएनईपी के सभी हस्ताक्षरकर्ताओं के लिए खोलने की योजना है और इसमें एक बैच में 40 अंतर्राष्ट्रीय और 10 राष्ट्रीय प्रतिभागियों को सम्म‍िलित किया जाएगा। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य नाभिकीय ऊर्जा के सुरक्षित, संरक्षित और टिकाऊ उपयोग में योगदान देने के लिए विशेषज्ञ नाभिकीय वैज्ञानिकों की एक नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करना है।

    इस अवसर पर, आईएईए के महानिदेशक, श्री ग्रॉसी ने अपने संबोधन में नाभिकीय विज्ञान और क्षमता निर्माण में वैश्विक सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला।

    जीसीएनईपी के सदस्य देशों ने उन्नत रिएक्टर प्रौद्योगिकियों, कार्यबल विकास, शिक्षा और प्रशिक्षण, तथा जनजागरूकता पर जोर देते हुए वैश्विक नाभिकीय सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की। अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी, अप्रसार और द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार पर विमर्श किया गया। जलवायु परिवर्तन को धीमा करते हुए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाभिकीय ऊर्जा की भूमिका को रेखांकित किया गया, साथ ही स्वास्थ्य सेवा, कैंसर देखभाल, तकनीकी सहयोग और वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान में इसके योगदान पर भी जोर दिया गया।

    परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ. अजीत कुमार मोहन्ती ने नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग करते हुए सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए नाभिकीय प्रौद्योगिकी और वैश्विक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की।

    वैश्विक नाभिकीय सहभागिता केंद्र, ने नाभिकीय अनुसंधान, नवाचार और क्षमता निर्माण के वैश्व‍िक मार्गदर्शक के रूप में भारत की भूमिका को मजबूत करना जारी रखा है, जो नेट जीरो को प्राप्त करने और विश्‍वव्‍यापी स्‍तर पर स्थायी ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने के व्यापक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है।

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