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    संस्थापक दिवस 2025 पर अध्यक्ष, एईसी एवं सचिव, डीएई का संबोधन

    मेरे आदरणीय वरिष्ठजनो, प्रिय साथियो, देवियो और सज्जनो,

    डॉ. होमी जहाँगीर भाभा की 116वीं जयंती के अवसर पर मैं आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूँ।

    जैसा कि हम सभी जानते हैं, डॉ. भाभा टीआईएफआर के संस्थापक निदेशक और परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान, ट्रॉम्बे (एईईटी) के संस्थापक निदेशक थे, जिसका नाम अब उनके सम्मान में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र रखा गया है। वे एक वैज्ञानिक, इंजीनियर और कलाकार थे, जिन्हें विज्ञान, कला और संस्कृति की गहरी समझ थी। उनका व्‍यक्तित्‍व बहुआयामी था, वे दूरदर्शी, कार्यान्वयनकर्ता और संस्था निर्माता थे, जिन्होंने परमाणु ऊर्जा को अपने जीवन का लक्ष्य और मिशन चुना। उन्होंने न केवल बड़े-बड़े सपने देखने का साहस किया, बल्कि अपने समय से बहुत आगे बढ़कर इन सपनों को साकार करने के लिए भी कदम उठाए। इसका सबसे अच्छा उदाहरण यह है कि आज जबकि पूरी दुनिया महत्वपूर्ण खनिजों और Rare earths पर ध्यान केंद्रित कर रही है, उन्होंने 75 साल से भी पहले इसके बारे में सोचा और हमारे समुद्र तटीय रेत खनिजों के संरक्षण पर ज़ोर दिया। यह वास्तव में उल्लेखनीय है कि “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” डॉ. भाभा के कार्यों और दूरदर्शिता के अभिन्न अंग थे। केंद्रीय बजट 2025-26 में “परमाणु ऊर्जा मिशन” की घोषणा देश के इस महान सपूत के प्रति सम्मान का एक सही पहल है। इस अवसर पर एक राष्ट्र के रूप में सामूहिक रूप से आगे आने और अगले 2 दशकों में मिशन में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने का संकल्प ही डॉ. भाभा को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगा।

    प्रिय साथियो,

    इसी आशा और महत्वाकांक्षा के साथ, मैं अब पिछले वर्ष स्थापना दिवस समारोह के बाद से परमाणु ऊर्जा विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश डालूँगा।

    मैं अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए शुरुआत करूँगा। हमारे देश में परमाणु ऊर्जा उत्पादन में योगदान देने वाले प्रमुख DAE संस्थान हैं: AMDER, UCIL, NFC, HWB, ECIL, NPCIL, BHAVINI, BARC और IGCAR.

    1. NFC ने उच्च अवशिष्ट प्रतिरोधकता ( High Residual Resistivity Ratio) अनुपात वाली नियोबियम सिल्लियों और शीटों के उत्पादन हेतु प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक विकास किया है। यह पदार्थ उन्नत त्वरक कार्यक्रमों के लिए आवश्यक एक महत्वपूर्ण पदार्थ है और इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा, पदार्थ अनुसंधान और अन्‍य महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों में भारत की क्षमताओं को मजबूत करना है।

    2. भारत के पहले प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR), भाविनी में वैकल्पिक मार्ग से ईंधन की लोडिंग इस वर्ष 18 अक्टूबर को शुरू हुई। उसी दिन, फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर, जो हमारे परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के दूसरे चरण का प्रमुख रिएक्टर है, ने सुरक्षित और सफल संचालन के 40 वर्ष पूरे किए।

    3. पिछले अक्टूबर से, एएमडी के निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप आंध्र प्रदेश, झारखंड और राजस्थान राज्यों में इन-सीटू यूरेनियम ऑक्साइड (U3O8) संसाधनों में 10,980 टन की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही, देश के कुल यूरेनियम ऑक्साइड संसाधन 4,36,700 टन इन-सीटू U3O8 हो गए हैं ।

    4. तमिलनाडु में समुद्र तटीय रेत खनिज भंडार के साथ आंध्र प्रदेश में तुम्मलपल्ली ब्लॉक-I और ब्लॉक-II और रचाकुंटपल्ली ब्लॉक यूरेनियम भंडार से संबंधित भूवैज्ञानिक रिपोर्टें खनन पट्टा देने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों को प्रस्तुत कर दी गई हैं। राजस्थान में भाटीखेड़ा REE-Nb-Zr भंडार के लिए भूवैज्ञानिक रिपोर्ट खान मंत्रालय को प्रस्तुत कर दी गई है। इस समय इस स्थल पर खनिजों के छठवें चरण के लिए खनन पट्टे की नीलामी खान मंत्रालय द्वारा की जा रही है।

    5. माननीय प्रधान मंत्री ने 25 सितंबर, 2025 को राजस्थान स्थित माही बांसवाड़ा परमाणु बिजलीघर की आधारशिला रखी है। इस परियोजना में पीएचडब्ल्यूआर – 700 मेगावाट की चार इकाइयां होंगी और इन्हें एनपीसीआईएल-एनटीपीसी के अश्विनी नामक संयुक्त उद्यम द्वारा स्थापित किया जाएगा।

    6. गुजरात के काकरापार में 700 मेगावाट PHWR की पहली दो स्वदेशी इकाइयों (केएपीएस – 3 और 4) को नियमित प्रचालन के लिए एईआरबी से लाइसेंस प्राप्त हुआ है। 16 स्वीकृत रिएक्टरों की श्रृंखला के तीसरे स्वदेशी 700 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर यूनिट रावतभाटा परमाणु ऊर्जा परियोजना (RAPP) इकाई 7 ने 15 अप्रैल, 2025 को वाणिज्यिक प्रचालन प्रारंभ कर दिया है।

    7. NPCIL ने अपने प्रचालन इतिहास में उच्चतम उत्पादन हासिल किया है – वित्त वर्ष 2024-25 में, 56,681 मिलियन यूनिट बिजली का उत्‍पादन किया जिससे लगभग 49 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन से बचा जा सका है। एक वर्ष से अधिक समय तक निरंतर प्रचालन अब तक 53 बार दर्ज किया गया है, जिसमें टीएपीएस-3 ने 521 दिनों के अपने पिछले रिकॉर्ड को पार कर लिया है और KKNPP-2 एक वर्ष से अधिक समय से प्रचालनरत है।

    8. भारत के परमाणु ऊर्जा मिशन की पूर्ति के लिए, BSMR-200, SMR-55 और HTGCR जैसी विभिन्न रिएक्टर प्रणालियों के डिजाइन और विकास पर तेजी से काम किया जा रहा है।

    9. उच्च स्तरीय रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में, तारापुर में एक नई विट्रीफिकेशन इकाई, AVS-3, का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा कर उसे चालू कर दिया गया है, जिसमें उन्नत ऑफ-गैस उपचार प्रणालियाँ और जूल मेल्टर के लिए रोल-इन-रोल-आउट अवधारणा का कार्यान्वयन शामिल है। एक अलग विकास कार्य में, BARC ने 25 kW की पूर्णतः कॉपर, हॉलो कैथोड, रिवर्स पोलेरिटी थर्मल प्लाज़्मा टॉर्च का विकास और प्रदर्शन किया है, जो सक्रिय अपशिष्ट भस्मीकरण में उपयोगी हो सकती है।

    10. परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के दूसरे चरण की ओर IGCAR के सोडियम प्रौद्योगिकी परिसर में एक बड़ी प्रायोगिक सोडियम परीक्षण सुविधा जून, 2025 में चालू की गई है। इस सुविधा का उपयोग डिज़ाइन अवधारणाओं में सुधार और अनुकूलन तथा भविष्य के FBR के डिज़ाइन के लिए इनपुट प्रदान करने हेतु परीक्षण स्थल के रूप में किया जाएगा। इसके अलावा, फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर-II के लिए सैद्धांतिक अनुमोदन प्राप्त हो गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य अगली पीढ़ी के FBR के लिए धातु ईंधन का परीक्षण करना है।

    स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में, परमाणु ऊर्जा विभाग चिकित्सीय/नैदानिक रेडियोफार्मास्युटिकल्स और कैंसर देखभाल के स्वदेशी विकास, व्यावसायीकरण और आपूर्ति में निरंतर योगदान दे रहा है। ये गतिविधियाँ BARC, BRIT, VECC, TMC और HWB में भी जारी हैं।

    1. 150 बिस्तरों वाले होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर, बिहार का उद्घाटन भारत के माननीय प्रधान मंत्री द्वारा 22.08.2025 को किया गया ।

    2. वित्त वर्ष 2024-25 में TMC में कुल 1.3 लाख रोगियों का पंजीकरण हुआ है। वाराणसी, संगरूर, मुल्लानपुर और गुवाहाटी में लगभग 5 लाख महिलाओं की मुख, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लिए जाँच की गई है।

    3. 30 MeV मेडिकल साइक्लोट्रॉन सुविधा, कोलकाता, FDG और अन्य रेडियोफार्मास्युटिकल्स का व्यावसायिक उत्पादन जारी रखे हुए है और कैंसर निदान के लिए अस्पतालों को रेडियोफार्मास्युटिकल्स की 371 Ci समतुल्य खुराकें प्रदान की गई हैं।

    4. HWB घरेलू बाजार में स्वास्थ्य सेवा उद्योगों को लगभग 125 पीपीएम ड्यूटेरियम युक्त ड्यूटेरियम अवक्षय‍ित जल (DDW) की नियमित आपूर्ति कर रहा है। HWB ने O-18 जल का सफलतापूर्वक उत्पादन किया है, जिसे रेडियोफार्मास्‍यूटिकल समिति ने पास कर दिया है । इस कंपाउंड को ब्रिट के माध्‍यम से आरएमसी, मुंबई और वीईसीसी, कोलकाता को आपूर्ति की जा रही है ।

    5. एक नया थेरेपेटिक इंटरवेंशन 177Lu-DOTA-FAPI-2286 थेरेपी, और उन्नत परिशुद्धता के साथ पाँच नए नैदानिक इंटरवेंशन प्रारंभ किए गए हैं, जिनके माध्‍यम से नियमित रूप से जॉंच की जा रही है, जिससे रोगी देखभाल का दायरा बढ़ रहा है। स्वदेशी विद्युतचुंबकीय आइसोटोप पृथक्करण सुविधा में 176Lu के आइसोटोप पृथक्करण और संवर्धन की तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया।

    6. इंदौर, मध्य प्रदेश में इलेक्ट्रॉन बीम आधारित स्टरलाइज़ेशन सुविधा चिकित्सा उपकरण निर्माताओं को आईएसओ मानकों के अनुरूप निरंतर ई-बीम स्टरलाइज़ेशन सेवाएँ प्रदान कर रही है। सितंबर, 2025 के महीने में, सुविधा ने 1.53 करोड़ चिकित्सा उपकरणों का स्टरलाइज़ेशन सफलतापूर्वक पूरा किया। यहाँ स्टरलाइज़ किए गए चिकित्सा उपकरणों का निर्यात जर्मनी, यूके, स्पेन, फ्रांस, बेल्जियम, इटली, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, पुर्तगाल, चेक गणराज्य और रूसी संघ सहित 35 से अधिक देशों में किया जा रहा है।

    7. श्रेणी II प्रकार के डिज़ाइन वाला एक उच्च-तीव्रता वाले गामा विकिरणक, ISOMED 2 को स्वास्थ्य सेवा उद्योग को स्वास्थ्य सेवा उत्पादों के अंतिम स्टरलाइज़ेशन हेतु सेवा प्रदान करने हेतु मई 2025 में पूरा किया गया। ISOMED 2.0 आज विश्‍व का एकमात्र उच्च-तीव्रता वाला भूमि-आधारित स्थिर गामा विकिरणक है।

    प्रिय साथियो,

    हम अपने मूलभूत और निर्देशित अनुसंधान को प्राथमिकता देते रहे हैं और हमारे वैज्ञानिक कई अग्रणी अनुसंधान क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। कुछ उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:

    1. IGCAR में, आयन विकिरण के अंतर्गत नमूनों की सूक्ष्म संरचना के विकास का अध्ययन करने के लिए 1.7MV टैंडेट्रॉन त्वरक की बीम लाइन के साथ ‘इन-सीटू आयन विकिरण और इमेजिंग विद फील्ड एमिशन स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (i4-FESEM)’ नामक एक नई सुविधा स्थापित की गई है। यह सुविधा भारत में अपनी तरह की पहली सुविधा है।

    2. तटीय वातावरण में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए आईजीसीएआर में फ्लाई ऐश और CaCO3 तथा TiO2 के नैनोकणों से युक्त उच्च-प्रदर्शन प्रबलित ग्रीन कंक्रीट विकसित किया गया। यह कंक्रीट आक्रामक क्लोराइड के प्रवेश को रोकता है और समुद्री जल के संपर्क में आने के एक वर्ष बाद भी इसमें कोई महत्वपूर्ण संक्षारण क्षरण नहीं देखा गया है ।

    3. NFC ने BARC और ARCI के सहयोग से, दुर्घटना सहिष्णु क्लैड्स के निर्माण हेतु पाउडर धातुकर्म पद्धति का उपयोग करते हुए 18 मिमी व्यास वाली 12CrFeAl मिश्रधातु की छड़ के तप्‍त बहिर्वेधन हेतु एक प्रक्रिया पहली बार विकसित की है।

    4. उच्च बर्न-अप अनुप्रयोगों के लिए 1000 पीपीएम से कम ऑक्सीजन वाली नई जिरकोनियम-आधारित उन्नत चतुर्धातुक मिश्रधातु (Zr-Nb-Sn-Fe) ट्यूब विकसित की गई है। ये ट्यूब Zr1%Nb के विकल्प के रूप में प्रस्तावित है और इनमें विकिरण वृद्धि कम होती है, जिससे ईंधन का प्रदर्शन बेहतर होता है।

    5. जिरकोनियम हाइड्राइड से भरी जिरकलॉय मॉडरेटर ट्यूबों का उत्पादन एकसमान घनत्व के साथ किया गया है, जिनमें उच्च सापेक्ष मंदन शक्ति (H2O के लिए 2.63 के मुकाबले 4.75) और अच्छा न्यूट्रॉन विकिरण प्रदर्शन है। यह उन्नत मॉड्यूलर रिएक्टरों के लिए एक संभावित सामग्री है।

    6. FBTR में विकिरणित यट्रिया पिन और स्ट्रोंशियम गुटिकाओं वाले कैप्सूलों को स्ट्रोंशियम-89 (एसआर-89) और फॉस्फोरस-32 (पी-32) रेडियोआइसोटोप के निष्कर्षण के लिए पुनःप्रसंस्कृत किया गया। P-32 का उत्पादन पहली बार एफबीटीआर में किया जा रहा है। साथ ही, प्योरएक्स प्रक्रिया स्ट्रीम से नेपच्यूनियम-237 की पुनर्प्राप्ति का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया है।

    7. भारी पानी बोर्ड ने बोरॉन एक्सचेंज डिस्टिलेशन फैसिलिटी, HWBF-तालचेर में 99.8% से अधिक शुद्धता (सेमीकंडक्‍टर ग्रेड) के बोरॉन-11 के संवर्धन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। समृद्ध उत्पाद को बाद में समृद्ध BF3 गैस में रूपांतरित करने के लिए शुद्ध समृद्ध बोरिक एसिड में सफलतापूर्वक परिवर्तित किया गया है।

    8. टीआईएफआर हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने पाया है कि एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (endoplasmic reticulum) नामक एक आंतरिक कोशिका संरचना को पुनर्गठित करके, घाव का उपचार घाव के आकार द्वारा नियंत्रित होता है। यह एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम एक सेंसर की तरह कार्य करता है, जो कोशिकाओं को वक्रता के आधार पर घाव भरने के लिए सही रणनीति चुनने में मदद करता है।

    9. आईएमएससी (IMSc) के शोधकर्ताओं ने नवजात शिशु के वजन का अनुमान लगाने के लिए गोम्पर्ट्ज़ सूत्र (Gompertz formula) का उपयोग करते हुए एक सरल, सहज और अत्यधिक सटीक विकास मॉडल विकसित किया है। इस मॉडल के लिए कम से कम तीन नियमित अल्ट्रासाउंड स्कैन से केवल चार मानक भ्रूण (foetal) माप की आवश्यकता होती है। इस सफलता से नवजात जटिलताओं और मृत जन्म के जोखिमों से जुड़े भ्रूण के वजन के घटने-बढ़ने का पता शीघ्र लगाया जा सकता है, जिससे समय पर नैदानिक हस्तक्षेप संभव हो पाता है।

    10. डार्क मैटर के निम्न द्रव्यमान (low mass) क्षेत्र का पता लगाने के लिए SINP द्वारा जादूगोड़ा स्थित भूमिगत विज्ञान प्रयोगशाला में डार्क मैटर प्रत्यक्ष खोज प्रयोग, भारतीय डार्क मैटर खोज प्रयोग (InDex) का पहला अभियान शुरू किया गया है।

    11. एचआरआई (HRI) के उच्च ऊर्जा भौतिकी समूह ने मानक मॉडल से परे कई ढाँचों पर व्यापक जाँच की है, जिसमें विविध ब्रह्मांडीय परिदृश्यों में न्यूट्रिनो गुणों, डार्क मैटर परिघटना (phenomenology) विज्ञान, कोलाइडर भौतिकी और गुरुत्वाकर्षण-तरंग संकेतों पर ध्यान केंद्रित किया गया है और हाल ही में न्यूट्रिनो भौतिकी को आगे बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक अंतर्राष्ट्रीय DUNE सहयोग का हिस्सा बन गया है।

    अगला क्षेत्र जहाँ DAE संस्थान अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, वह है उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र जैसे कण त्वरक, लेज़र, प्लाज़्मा, क्रायोजेनिक, क्वांटम, अंतरिक्ष अनुप्रयोग, संलयन (fusion), आंतरिक और साइबर सुरक्षा आदि। ये संस्थान महत्वपूर्ण खनिजों और विरल मृदाओं (Rare Earths) से लेकर उन्नत सामग्रियों, प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों तक, इसके हर पक्ष में योगदान दे रहे हैं। उद्योग और खनिज क्षेत्रों (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और औद्योगिक संगठनों दोनों) से संबंधित DAE इकाइयों ने, अनुसंधान एवं विकास केंद्रों द्वारा समर्थित, महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

    1. आंतरिक सुरक्षा की दिशा में, ईसीआईएल ने महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर खतरों से सुरक्षा के लिए रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (CBRN) प्रणाली को सफलतापूर्वक विकसित, एकीकृत और स्थापित किया है। साथ ही, आकाश-प्राइम प्रणाली के लिए पहला उत्पादन मॉड्यूल, जो दुश्मन के विमानों/ड्रोनों से बहु दिशात्मक हमलों के 360 डिग्री के दायरे में सक्षम है, को एकीकृत किया गया है।

    2. पोर्टेबल रेडियो-आइसोटोप आइडेंटिफायर डिवाइस (PRID), एक फील्ड-डिप्लॉयबल गामा स्पेक्ट्रोमेट्री सिस्टम है, जिसे रेडियोधर्मी पदार्थों का तेजी से पता लगाने, स्थानीयकरण, मात्रा का ठहराव और आइसोटोप पहचान के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसे ECIL-BARC के संयुक्त प्रयासों से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है और इसका अनुप्रयोग बंदरगाहों और हवाई अड्डों की सुरक्षा में होता है।

    3. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए, ईसीआईएल ने अग्नि मिसाइल लॉन्चर सिस्टम के लिए एकीकृत पावर एवं पायरो रिले यूनिट (IPPRU) और लॉन्चर इंटरफेस यूनिट (LIU) का सफलतापूर्वक विकास और निर्माण किया है। इसके अलावा, अस्त्र मिसाइल (VL-SRSAM) के लिए हथियार नियंत्रण प्रणाली (WCS) का भारतीय नौसेना के एक जहाज पर सफलतापूर्वक परीक्षण और अन्य ऑन-बोर्ड प्रणालियों के साथ इंटरफेस किया गया।

    4. शोर बेस्ड एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम (SBASMS) के लिए C4I (कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर और इंटेलिजेंस) सिस्टम को एकीकृत कर मैसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड को मित्र विदेशी देश को निर्यात के लिए आपूर्ति की गई है। वाहन पर लगे रडार का एकीकरण पहली बार किया गया।

    5. नियोबियम थर्मिट उत्पादन सुविधा (NTPF), नामक संयंत्र अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए नियोबियम की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), अंतरिक्ष विभाग (DoS) के साथ समझौता ज्ञापन के तहत एनएफसी द्वारा स्थापित किया गया है। नायोबियम ऑक्‍साइड का पहला बैच संयंत्र में सफलतापूर्वक उत्‍पादित किया गया और सचिव, अंतरिक्ष विभाग और अध्‍यक्ष, अंतरिक्ष आयोग को सौंपा गया ।

    6. BARC कैम्‍पस, वैजाग स्थित विरल मृदा स्थायी चुंबक सुविधा में उत्पादित समैरियम-कोबाल्ट चुम्बकों को स्वीकृति परीक्षण और अंतिम उपयोग घटक पर निष्‍पादन स्तर के परीक्षणों के लिए अंतिम उपयोगकर्ता को भेजा गया है।

    7. स्वच्छ हाइड्रोजन उत्पादन प्रौद्योगिकियों के विकास की दिशा में, 1 MW alkaline water electrolysis stack के एक प्रोटोटाइप का परीक्षण किया गया है। BPCL ने BARC डिज़ाइन के आधार पर 0.5 MW AWE (100 Nm3/h) के एक पूर्ण स्टैक का संविरचन किया है, जिसे शीघ्र ही कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (CIAL) में परिवहन अनुप्रयोग के लिए शुरू किया जाएगा।

    8. ब्रिट ने भारत का पहला tungsten-shielded, Iridium-192-आधारित औद्योगिक रेडियोग्राफी उपकरण, ROTEX-I और कोबाल्ट-60 आधारित रेडिएशन एक्सपोज़र उपकरण, COCAM-A जिसे टाइप-A रेडियोधर्मी सामग्री परिवहन पैकेज के रूप में अनुमोदित किया गया है, लॉन्च किया है। दोनों उपकरणों का रासायनिक उद्योग, ऊर्जा क्षेत्र, एयरोस्पेस क्षेत्र, नाभिकीय उद्योग और रक्षा क्षेत्र में व्यापक उपयोग होता है।

    BARC में कृषि एवं खाद्य संरक्षण हेतु विकिरण-आधारित प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग में कार्य किया जा रहा है और इसके सकारात्मक प्रभाव को अब देश के विभिन्न हितधारकों द्वारा मान्यता मिल रही है। मैं सामाजिक हित के लिए नाभिकीय ऊर्जा के गैर-विद्युत अनुप्रयोगों से स्पिन-ऑफ और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के रूप में हुई प्रगति पर भी प्रकाश डालूँगा जैसे जल उपचार, अपशिष्ट प्रबंधन, post-harvest cold chain आदि। BARC, IPR, IGCAR, RRCAT और UCIL इस क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहे हैं।

    1. राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र (एनआरसीबी), त्रिची के सहयोग से एक शीघ्र पकने वाली उत्परिवर्ती केले की किस्म – TBM-9 विकसित और अधिसूचित की गई है। 15-20% अधिक अनाज उपज वाली एक शीघ्र पकने वाली ज्वार उत्परिवर्ती किस्म,RTS -43, को राजपत्र में अधिसूचित किया गया है। इसके साथ ही, BARC द्वारा जारी किस्मों की संख्या 72 हो गई है। इसके अलावा, पहले जारी की गई BARC की 6 तिलहन किस्मों को अब अन्य राज्यों में खेती के लिए विस्तारित किया गया है।

    2. ब्रिट ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के आसपास के ग्राहकों के लिए खाद्य और कृषि उत्पादों में Cs-137 सामग्री का परीक्षण करने के लिए अपनी NABL-मान्यता प्राप्त रेडियो विश्लेषणात्मक प्रयोगशाला के माध्यम से रेडियो विश्लेषणात्मक सेवा शुरू की है।

    3. निजी और राज्य सरकार के क्षेत्रों में गामा विकिरण प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना के लिए 17 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए और इस अवधि के दौरान 6 ऐसी सुविधाओं का कमीशनन किया गया जिससे देश में प्रचालित ऐसी सुविधाओं की कुल संख्या 40 हो गई। ब्रिट Co-60 स्रोतों की आपूर्ति और संयंत्र प्रचालन मापदंडों की स्थापना करके इन सुविधाओं का समर्थन कर रहा है।

    4. UCIL ने तुम्मलपल्ली भूमिगत खदान में खदान के पानी के शुद्धिकरण की चुनौती से निपटने के लिए एक आंतरिक रासायनिक उपचार विधि सफलतापूर्वक विकसित की है। इस प्रक्रिया में, खदान के पानी से यूरेनियम और रेडियम को प्रभावी ढंग से हटाने के लिए sulphuric acid, barium chloride, lime और phosphoric acid का उपयोग किया जाता है, जिससे पर्यावरणीय संरक्षा और धारणीय प्रचालन सुनिश्चित होता है।

    5. IPR के अटल इनक्यूबेशन सेंटर, AIC-Plasmatech में, भारतीय स्टार्ट-अप्स के साथ 9 इनक्यूबेशन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और 6 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते निष्‍पादित हुए हैं। पहली बार,HBNI के छात्रों द्वारा संचालित स्टार्टअप ‘Redero Trionics’ को भी AIC-Plasmatech में इनक्यूबेट किया गया है। यह स्टार्टअप प्लाज्मा और संबंधित प्रणालियों के विशिष्ट विकास हेतु विशिष्ट इंजीनियरिंग और प्रोटोटाइप आवश्यकताओं को पूरा करता है।

    इन सभी उपलब्धियों को देखते हुए, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि परमाणु ऊर्जा परिवार को संगठनात्मक और व्यक्तिगत दोनों श्रेणियों में कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। मैं इनमें से कुछ उपलब्धियों को आपके साथ साझा करना चाहूँगा।

    1. डॉ. एस. एम. यूसुफ, निदेशक, डीएई-सीईबीएस को इस वर्ष प्रतिष्ठित “विज्ञानश्री” पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

    2. डॉ. एस. एम. यूसुफ, डीएई-सीईबीएस और डॉ. डी. के. त्यागी, एचबीएनआई को विश्व विज्ञान अकादमी (FTWAS) 2025 की यूनेस्को फेलोशिप से सम्मानित किया गया है। डॉ. यूसुफ को भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी (INAE) 2025 का फेलो भी चुना गया है।

    3. BARC की डॉ. आराधना श्रीवास्तव और ICTS, TIFR हैदराबाद की डॉ. मैथिली रामासामी को INSA फेलोशिप प्रदान की गई है, जबकि IoP के प्रो. संजीब कुमार अग्रवाल को राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत (NASI), प्रयागराज का फेलो चुना गया है।

    4. श्रीमती सोनिया कपूर, प्रधानाध्यापिका, AECS-2, मुंबई को भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा शिक्षक राष्ट्रीय पुरस्कार 2025 प्रदान किया गया है, जो हमारे संकाय की उत्कृष्टता का प्रमाण है।

    5. 14 सितंबर को हिंदी दिवस के अवसर पर, परमाणु ऊर्जा विभाग को लगातार दूसरे वर्ष राजभाषा कीर्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

    6. IREL और ECIL को क्रमशः “संस्थागत उत्कृष्टता” और “अन्य लाभ अर्जित करने वाले/अधिशेष उत्पन्न करने वाले सार्वजनिक उपक्रम” श्रेणी के अंतर्गत प्रतिष्ठित ‘स्कोप एमिनेंस अवार्ड 2022-23’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा 29 अगस्त 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में प्रदान किया गया।

    7. टीम AMD ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), खान मंत्रालय द्वारा ‘नवीन खनिज खोज तकनीकों’ पर आयोजित ‘Mineral Exploration Hackathon’ में प्रथम पुरस्कार जीता है।

    8. TIFR द्वारा प्रशिक्षित भारतीय छात्रों ने जीव विज्ञान, गणित, भौतिकी, रसायन विज्ञान और खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी में पांच अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
    a) 5 से 14 जुलाई तक दुबई, यूएई में आयोजित 57वें अंतर्राष्ट्रीय रसायन विज्ञान ओलंपियाड (IChO) में भारतीय टीम ने 2 स्वर्ण और 2 रजत पदक हासिल किए।
    b) 18 से 24 जुलाई तक पेरिस, फ्रांस में आयोजित 55वें अंतर्राष्ट्रीय भौतिकी ओलंपियाड (IPhO) में भारतीय टीम ने 3 स्वर्ण और 2 रजत पदक हासिल किए।
    c) 20 से 27 जुलाई तक क्यूज़ोन, फिलीपींस में आयोजित 36वें अंतर्राष्ट्रीय जीवविज्ञान ओलंपियाड (IBO) में भारत ने 2 स्वर्ण और 2 रजत पदक जीते, जिससे भारत की वैज्ञानिक उत्कृष्टता सिद्ध हुई।
    d) 10 से 20 जुलाई तक सनशाइन कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित 66वें अंतर्राष्ट्रीय गणित ओलंपियाड (IMO) में भारतीय टीम ने 3 स्वर्ण, 2 रजत और 1 कांस्य पदक हासिल किया।
    e) अंततः, इस वर्ष टीआईएफआर की मेजबानी में भारत में आयोजित 18वें अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी ओलंपियाड (आईओएए) में, टीम ने असाधारण प्रदर्शन करते हुए 4 स्वर्ण और 1 रजत पदक जीते।

    9. NIRF रैंकिंग 2025 ने HBNI को भारत में अनुसंधान संस्थान श्रेणी में 7वें, विश्वविद्यालय श्रेणी में 12वें और समग्र श्रेणी में 20वें स्थान पर रखा है। नेचर इंडेक्स 2024-25 ने HBNI को भारत के सभी संस्थानों में भौतिक विज्ञान में प्रकाशनों के मामले में प्रथम और समग्र प्रकाशनों के मामले में तीसरे स्थान पर रखा है।

    10. प्रो. सत्यप्रकाश साहू, IOP, भुवनेश्वर के समूह द्वारा Neuromorphic computing applications के लिए 2D Quantum material आधारित ट्रांजिस्टर पर हाल ही में प्रकाशित एक लेख को वर्ष 2024 के नोबेल पुरस्कार के नेचर क्रॉस-जर्नल रेट्रोस्पेक्टिव संग्रह के लिए चुना गया है। यह भारत का एकमात्र शोध लेख है जिसे इस प्रतिष्ठित संग्रह में शामिल किया गया है।

    जहाँ एक ओर हमारे वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीविद्, इंजीनियर और शिक्षक अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं, वहीं दूसरी ओर हमारे साथियों के परिवार भी हमें गौरवान्वित कर रहे हैं। इन उपलब्धियों को साझा करते हुए हमेशा ही प्रसन्‍नता महसूस होती है।

    1. विक्रम साराभाई विज्ञान प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित साराभाई प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी (SPOT) परीक्षा 2024-25 में, AECS-1, तारापुर के तीन छात्रों को शीर्ष 100 में स्थान मिला और उन्हें इंटर्नशिप प्राप्त हुई। AECS-1, तारापुर के एक छात्र ने नेशनल फाइनल के लिए क्‍वालिफाइ किया।

    2. AECS मैसूरु, OSCOM और रावतभाटा के कक्षा IX और X के पांच छात्रों ने अपने प्रोजेक्‍ट प्रस्तुत किए और वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा गठित INSPIRE-MANAK पुरस्कार 2024-25 के लिए चुने गए हैं।

    3. हमारे AECS स्कूलों में सर्वांगीण विकास की भावना को दर्शाते हुए, सितंबर 2024 में आयोजित CBSE क्लस्टर III वॉलीबॉल टूर्नामेंट में, अंडर-14 बालिका टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया और सीबीएसई नेशनल्स के लिए चयनित हुईं। अंडर-19 वर्ग में, बालिका टीम ने दूसरा स्थान प्राप्त किया।

    4. ‘सबका विकास’ की सच्ची भावना के अनुरूप, AEES को अपने सामाजिक संवर्धन एवं शिक्षा कार्यक्रम (SEEP) पर गर्व है, जो परियोजना स्थलों के आसपास के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के आर्थिक रूप से वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है। वर्तमान में नौ केंद्रों पर संचालित, यह कार्यक्रम 958 छात्रों को सहायता प्रदान करता है, उन्हें निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ उनकी शैक्षणिक यात्रा को सशक्त बनाने के लिए अन्‍य सुविधाएँ भी प्रदान करता है।

    हमारी सभी इकाइयों के प्रभावी संचालन हेतु एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए, DCSEM, DPS और GSO ने न केवल विभाग के बुनियादी ढाँचे को मजबूत और संवर्धित किया है, बल्कि सभी DAE परिसरों में अचल संपत्ति का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करते हुए भूदृश्‍य एवं जैव-विविधता को भी बनाए रखा है। कई आधिकारिक और आवासीय भवनों के अलावा, नए CRECHE और इंद्रधनुष सांस्कृतिक केंद्र के विस्तार जैसे सामुदायिक बुनियादी ढाँचे का भी संवर्धन किया गया है। अपने कर्मचारियों के लिए रोगी देखभाल को बेहतर बनाने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। बीएआरसी अस्पताल में, हृदय संबंधी जटिल प्रक्रियाओं को करने की क्षमता सहित उन्नत शल्य चिकित्सा सुविधाओं से सुसज्जित एक आधुनिक ऑपरेशन थिएटर परिसर का कमीशनन किया गया है।

    अंत में, मैं हमारे वैज्ञानिक एवं तकनीकी; प्रशासन एवं सुरक्षा; और स्वास्थ्य-रक्षा के सभी सदस्यों को धन्यवाद देना चाहूँगा; जिन्होंने विभाग के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते हुए कंधे से कंधा मिलाकर निरंतर योगदान दिया है।

    प्रिय साथियो,

    समापन से पहले, मैं दोहराना चाहूँगा कि राष्ट्र अब परमाणु ऊर्जा की क्षमता और समाज पर इसके दूरगामी सकारात्मक प्रभाव को भलीभांति समझ चुका है। यह हमारे विभाग के कार्यक्रमों को तीव्र गति से आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्‍त करता है। मैं परमाणु ऊर्जा विभाग परिवार के सभी सदस्यों से आग्रह करता हूँ कि वे इस अवसर पर हर संभव प्रयास करें और देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को अभूतपूर्व सफलता की ओर ले जाने के लिए समर्पण भाव से कार्य करें। आज का य‍ह अवसर,डॉ. भाभा द्वारा जीवनभर अपनाए गए उच्च मूल्यों और आदर्शों के प्रति स्‍वयं को पुन: समर्पित करने का अवसर है।

    अंत में, मैं एक बार फिर इस गौरवशाली अवसर पर DAE के सभी सदस्यों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं देता हूं।

    जय हिंद।

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